*****गोघृत के चमत्कार ******
गाय के घी को अमृत कहा गया है जो जवानी को कायम रखते हुए बुढ़ापे को दूर रखता है । ऐसी मान्यता है कि काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है । देशी गाय के घी को रसायन कहा गयाहै जो तरुणाई को कायम रखते हुए, वृद्धावस्था को दूर रखता है। गाय के घी में पाए जाने वाले स्वर्ण-छार में अदभुत औषधिय गुण होते हैंजो गाय के घी के अलावा अन्य किसी घी में नहीं मिलते । गाय के घी मेंवैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं जिनमें कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की अद्भुत क्षमता होती है।
धार्मिक नजरिये से देखने पर भी यदि गाय के 100 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ) किया जावे तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है । यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है । इसमें वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की पर्याप्त क्षमता होती है।
गाय के घी के औषधीय प्रयोग :–
दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है । गाय के घी को इसी प्रकार नाक में डालने से एलर्जी खत्म होती है, लकवे के रोग का उपचार होता है, कान का पर्दा ठीक हो जाता है, नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै, कोमा के रोगी की चेतना वापस लौटने लगती है, बाल झडना समाप्त होकर नए बाल आने लगते है, मानसिक शांति मिलती है और याददाश्त तेज होती है ।
हाथ पांव मे जलन होने पर गाय के घीकी पैरों के तलवो में मालिश करने से जलन दूर होती है । ऐसे ही सिर दर्द के साथ यदि शरीर में गर्मी लगती हो तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करने से सर दर्द ठीक होकर शरीर में शीतलता महसूस होती है ।
फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
गाय के घी की छाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालनेमे मदद मिलती है ।
सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलाकर उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
अधिक कमजोरी की शिकायत लगने पर एकगिलास गाय के दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है ।
हार्ट अटैक की तकलीफ वालों को चिकनाई खाने की मनाही हो तो भी गाय का घी खाएं इससे ह्रदय मज़बूतहोता है । यहाँ यह भी स्मरण रखें कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता, वजन संतुलित होता है यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है और मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
20-25 ग्राम घी मिश्री के साथ खिलाने से शराब, भांग व गांजे का नशा कम हो जाता है।
गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है ।
हिचकी के न रुकने पर गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी रुक जाएगी ।
गाय के घी के नियमित सेवन से बल-वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में इजाफा होता है ।
देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है । यह इस बीमारी के फैलने को आश्चर्यजनक गति से रोकता है और इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है ।
संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच देसीगाय का घी मिलाकर पीने से थकान खत्म व शरीर तरोताजा हो जाता है ।
रात को सोते समय एक गिलास मीठे दूध में एक चम्मच घी डालकर पीने से शरीर की खुश्की और दुर्बलता दूर होती है, नींद गहरी आती है, हड्डी बलवान होती है और सुबह शौच साफ आता है । शीतकाल के दिनों में यह प्रयोग करने से शरीर में बलवीर्य बढ़ता है और दुबलापन दूर होता है।
एक चम्मच गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है ।
उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए । यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार नाक में प्रयोग करने पर यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
गाय के घी को ठन्डे जल में फेंटकर घी को पानी से अलग कर लें, यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करें और फिर इस घी में थोड़ा सा कपूर मिला दें । इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असरकारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं । यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है ।
गाय के घी में छिलके सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा)तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें । प्रातः खाली पेटएक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों को प्रदर रोग में आराम होता है । पुरुषों को इसका प्रयोगसुडौल और बलवान बनता है।
विशेष - यदि स्वस्थ व्यक्ति भी हर रोज नियमित रूप से सोने से पहले दोनों नाशिकाओं में हल्का गर्म (गुनगुना) देसी गाय का घी डालकर सोने की आदत बनाले तो इससे नींद गहरी आएगी, खराटे बंद होंगे, यादास्त तेज होगी और अन्य अनेकों बीमारियों से शरीर का बचाव होता रह सकेगा । इसके लिए बिस्तर पर लेट कर दो दो बूंद घी दोनों नाकों में डाल कर पांच मिनट तक सीधे लेटे रहिये घी को जोर लगा कर न खीचें यह क्रिया अधिक प्रभावशालीहोती है । सामान्य व्यक्ति रात कोसोते वक्त तथा रोगी दिन में तीन बार देसी गाय का घी नाक में डाल सकते है ।
:::::¤¤ वन्दे गौ मातरम् ¤¤:::::
Posted via Blogaway
No comments:
Post a Comment